YouTuber Mohak Mangal in Trouble: ANI का कॉपीराइट स्ट्राइक पर मचा बवाल, जाने पूरा मामला

यूट्यूबर Mohak Mangal पर ANI ने कॉपीराइट स्ट्राइक लगाकर लाखों की डिमांड की है। क्या यह वाजिब कॉपीराइट है या डिजिटल जबरदस्ती? जानिए पूरा विवाद।

Mohak Mangal controversy over ANI copyright strikes on YouTube
YouTuber Mohak Mangal faces controversy as ANI issues copyright strikes, sparking debate over fair use and digital creator rights.

भारत के डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स के बीच इन दिनों बड़ा हंगामा मचा हुआ है। मामला जुड़ा है मशहूर यूट्यूबर Mohak Mangal और देश की प्रमुख न्यूज़ एजेंसी ANI से, जिसने कथित रूप से कॉपीराइट स्ट्राइक के जरिए भारी रकम वसूलने की कोशिश की है।

कौन हैं मोहक मंगल?

मोहक मंगल एक लोकप्रिय भारतीय यूट्यूबर हैं जो सामाजिक, राजनीतिक और नीतिगत मुद्दों पर रिसर्च-बेस्ड वीडियो बनाते हैं। उनके चैनल की खासियत है गंभीर विषयों को सरल भाषा में समझाना और तथ्यों के आधार पर चर्चा करना। लाखों सब्सक्राइबर्स वाले मोहक को एक जिम्मेदार कंटेंट क्रिएटर माना जाता है जो देश के युवाओं को सोचने पर मजबूर करता है।

मामला क्या है? ANI ने क्या किया?

हाल ही में मोहक मंगल ने दावा किया कि भारत की प्रतिष्ठित न्यूज़ एजेंसी ANI (Asian News International) ने उनके यूट्यूब चैनल पर दो कॉपीराइट स्ट्राइक लगाए। पहली स्ट्राइक एक ऐसे वीडियो पर आई जिसमें महज 11 सेकंड का ANI का न्यूज़ फुटेज इस्तेमाल हुआ था, जबकि पूरी वीडियो 16 मिनट की थी।

कुछ ही समय बाद दूसरी स्ट्राइक भी आ गई और फिर मोहक को ANI की ओर से एक लाइसेंसिंग डील का ऑफर दिया गया – जिसकी कीमत थी ₹45 लाख रुपये! मोहक के अनुसार, ANI ने उन्हें धमकी दी कि अगर ये रकम नहीं दी गई, तो कुल 8 स्ट्राइक लगाई जाएंगी जिससे उनका चैनल स्थायी रूप से डिलीट हो सकता है।

ANI कौन है?

ANI (Asian News International) भारत की एक अग्रणी समाचार एजेंसी है जो टेलीविज़न चैनलों, वेबसाइट्स और अंतरराष्ट्रीय मीडिया हाउस को न्यूज फुटेज, रिपोर्ट्स और फोटोज़ सप्लाई करती है। ANI के पास बड़ी मात्रा में एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट होता है और यह सरकार से जुड़े समाचारों के लिए प्रमुख स्रोत मानी जाती है। यही वजह है कि ANI अपने वीडियो कंटेंट की सुरक्षा के लिए कॉपीराइट स्ट्राइक का सहारा लेती है।

क्या ये सिर्फ मोहक का मामला है?

नहीं। रिपोर्ट्स के अनुसार कई अन्य यूट्यूबर्स ने भी यही आरोप ANI पर लगाए हैं। कुछ क्रिएटर्स ने बताया कि उन्हें ₹15 लाख से ₹50 लाख तक की डिमांड की गई और कई ने डर के कारण पैसे देकर मामला खत्म किया। कुछ ने ANI के साथ जबरन सब्सक्रिप्शन या लाइसेंस डील्स भी साइन की।

Fair use vs Copyright Strike – किसकी गलती?

भारतीय कानून के तहत “फेयर डीलिंग” (Section 52, Copyright Act 1957) नाम की एक व्यवस्था है जिसमें न्यूज़, आलोचना, शिक्षा या रिसर्च के लिए सीमित कंटेंट का उपयोग किया जा सकता है। मोहक का कहना है कि उनके द्वारा किया गया उपयोग इस दायरे में आता है। लेकिन ANI का कहना है कि वे अपने कॉन्टेंट की रक्षा के लिए पूरी तरह वैध अधिकारों का प्रयोग कर रहे हैं।

YouTube की पॉलिसी और Creators की मुश्किलें

YouTube की “Three Strike Policy” के तहत यदि किसी चैनल को 90 दिनों में 3 कॉपीराइट स्ट्राइक मिलती हैं, तो चैनल स्थायी रूप से डिलीट हो सकता है। यही कारण है कि कॉपीराइट स्ट्राइक एक गंभीर खतरा है और छोटे क्रिएटर्स को इससे बचने के लिए भारी रकम चुकानी पड़ती है। YouTube पहले दावा जांचे बिना स्ट्राइक लागू कर देता है – जिससे पक्षपात की आशंका बढ़ जाती है।

Creator Community का समर्थन – ANI पर उठा विरोध का तूफान

मोहक मंगल के समर्थन में कई बड़े नाम सामने आए हैं। ध्रुव राठी ने ANI को “एक्सटॉर्शन रैकेट” बताया, जबकि नितीश राजपूत ने YouTube से Creators के लिए बेहतर सुरक्षा की मांग की। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #StopCopyrightExtortion जैसे ट्रेंड्स भी देखने को मिले।

सरकार से अपील और सुधार की मांग

मोहक ने इस पूरे मामले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (I&B Ministry) को चिट्ठी लिखी है और जांच की मांग की है। उन्होंने कहा – “ये सिर्फ मेरा मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे भारतीय डिजिटल क्रिएटर इकोसिस्टम का सवाल है।”

महत्वपूर्ण सवाल जो अब हर कोई पूछ रहा है:

  1. क्या ANI सच में कानून का दुरुपयोग कर रहा है?
  2. क्या YouTube के सिस्टम में सुधार की जरूरत है?
  3. क्या फेयर यूज़ की परिभाषा भारत में साफ़ नहीं है?
  4. क्या छोटे क्रिएटर्स कॉर्पोरेट दबाव से सुरक्षित हैं?
  5. क्या सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई करेगी?

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निष्कर्ष:

मोहक मंगल बनाम ANI का ये विवाद सिर्फ दो पक्षों की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे क्रिएटर समुदाय और मीडिया हाउस के बीच न्याय बनाम शक्ति की लड़ाई है। आने वाले समय में यह केस भारत में डिजिटल अधिकारों और फेयर यूज़ की परिभाषा को फिर से गढ़ सकता है।

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